in जब तेरी याद के जुगनू चमके– जब तेरी याद के जुगनू चमके देर तक आँख में आँसू चमके सख़्त तारीक[1] है दिल की दुनिया ऐसे आलम[2]...
in दिल को अब यूँ तेरी हर दिल को अब यूँ तेरी हर एक अदा लगती है जिस तरह नशे की हालत में हवा लगती है रतजगे...
in इस से पहले कि बेवफ़ा हो इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ तू भी हीरे से बन...
in अब नये साल की मोहलत नहीं अब नये साल की मोहलत नहीं मिलने वाली आ चुके अब तो शब-ओ-रोज़ अज़ाबों वाले अब तो सब दश्ना-ओ-ख़ंज़र की...
in अब के रुत बदली तो ख़ुशबू अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन ज़ख़्म फूलों की तरह महकेंगे पर देखेगा कौन देखना सब...
in आँख से दूर न हो दिल आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा इतना मानूस न...
in बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये के अब तलक नही पलटे हैं लोग कब के गये करेगा...
in बरसों के बाद देखा इक शख़्स बरसों के बाद देखा इक शख़्स दिलरुबा सा अब ज़हन में नहीं है पर नाम था भला सा अबरू खिंचे...
in बदन में आग सी चेहरा गुलाब बदन में आग सी चेहरा गुलाब जैसा है के ज़हर-ए-ग़म का नशा भी शराब जैसा है कहाँ वो क़ुर्ब के...
in छेड़े मैनें कभी लब-ओ-रुख़्सार के क़िस्से छेड़े मैनें कभी लब-ओ-रुख़्सार के क़िस्से गहे गुल-ओ-बुलबुल की हिकायत को निखारा गहे किसी शहज़ादे के अफ़्साने सुनाये गहे क्या...
in दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें दिल भी माना नहीं के तुझसे कहें आज तक अपनी बेकली का सबब ख़ुद...
in दिल भी बुझा हो शाम की दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों मर जाइये जो ऐसे में तन्हाइयाँ भी हों आँखों की सुर्ख़...
in हर तमाशाई फ़क़त साहिल से मंज़र हर तमाशाई फ़क़त साहिल से मंज़र देखता कौन दरिया को उलटता कौन गौहर देखता वो तो दुनिया को मेरी दीवानगी...
in गिले फ़ुज़ूल थे अहद-ए-वफ़ा के होते गिले फ़ुज़ूल थे अहद-ए-वफ़ा के होते हुए सो चुप रहा सितम-ए-नारवां के होते हुए ये क़ुर्बतों में अजब फ़ासले पड़े...
in “फ़राज़ अब कोई सौदा कोई जुनूँ “फ़राज़ अब कोई सौदा कोई जुनूँ भी नहीं मगर क़रार से दिन कट रहे हों यूँ भी नहीं लब-ओ-दहन भी...