अपना मुक़द्दर अपनी लकीरें -शिक़वा शायरी
मैं शिकवा करूँ भी तोकिस से करूँ,अपना ही मुक़द्दर हैअपनी ही लकीरें हैं ।
शिक़वा शायरी
By Admin
October 31, 2021
मैं शिकवा करूँ भी तोकिस से करूँ,अपना ही मुक़द्दर हैअपनी ही लकीरें हैं ।
शिक़वा शायरी
छोड़ तो सकता हूँ( एडमिन द्वारा दिनाँक 25-03-2015 को प्रस्तुत )छोड़ तो सकता हूँ मगर छोड़ नहीं पाता उसे,वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है । - शिक़वा शायरी
मोहब्बत में लाखों ज़ख्म( एडमिन द्वारा दिनाँक 05-06-2016 को प्रस्तुत )मोहब्बत में लाखों ज़ख्म खाए हमने,अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं,मत पूछो क्या गुजरती है दिल पर,जब वो कहते है हमें तुमसे प्यार नहीं। -...
जब मोहब्बत को लोग खुदा मानते हैं,फिर क्यूँ प्यार करने वालों को बुरा मानते हैं,माना कि ये ज़माना पत्थर दिल है,फिर क्यूँ लोग पत्थरों से दुआ माँगते हैं? - शिक़वा शायरी
भले ही राह चलते तू औरों का दामन थाम ले,मगर मेरे प्यार को भी तू थोड़ा पहचान ले,कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क़ में मैंने,ज़रा इस दिल की बेताबी को भी तू जान ले। शिक़वा...
करूँगा क्या जो हो गया नाकाम मोहब्बत में,मुझे तो कोई और काम भी नहीं आता इसके सिवा। - शिक़वा शायरी
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं( एडमिन द्वारा दिनाँक 13-06-2016 को प्रस्तुत )चलो अब जाने भी दो क्या करोगे हमारी दास्ताँ सुनकर,ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं। - शिक़वा शायरी