एक तो हुस्न कयामत – तारीफ़ शायरी – तारीफ़ शायरी
एक तो हुस्न कयामत
हुजूर लाज़िमी है महफिलों में बवाल होना,
एक तो हुस्न कयामत उसपे होठों का लाल होना।- तारीफ़ शायरी
By Admin
February 27, 2022
एक तो हुस्न कयामत
( एडमिन द्वारा दिनाँक 13-02-2019 को प्रस्तुत )
हुजूर लाज़िमी है महफिलों में बवाल होना,
एक तो हुस्न कयामत उसपे होठों का लाल होना।- तारीफ़ शायरी
ईद की तारीख मुकम्मल( एडमिन द्वारा दिनाँक 11-03-2016 को प्रस्तुत )चाँद के दीदार को तुम छत पर क्या चले आये,शहर में ईद की तारीख मुकम्मल हो गयी। - तारीफ़ शायरी
तबस्सुम भी हया भी( एडमिन द्वारा दिनाँक 26-09-2016 को प्रस्तुत )इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी,ज़ालिम में और इक बात है इस सब के सिवा भी। - तारीफ़ शायरी
हुस्न की इन्तेहाँ( एडमिन द्वारा दिनाँक 25-11-2016 को प्रस्तुत )हुस्न की ये इन्तेहाँ नहीं है तो और क्या है,चाँद को देखा है हथेली पे आफताब लिए हुए। - तारीफ़ शायरी
नाज़ुकी उसके लब की क्या कहिए,पंखुड़ी इक गुलाब की सी है। तारीफ़ शायरी
दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ,दो-चार दिन रहा था किसी की निगाह में। - तारीफ़ शायरी