ख़ूब पर्दा है – तारीफ़ शायरी
ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं...साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।
- तारीफ़ शायरी
By Admin
May 4, 2020
ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं...साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।
- तारीफ़ शायरी
इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी,ज़ालिम में और इक बात है इस सब के सिवा भी। - तारीफ़ शायरी
घनी जुल्फों के साये में चमकता चाँद सा चेहरा,तुझे देखूं तो कुछ रातें सुहानी याद आती हैं। तारीफ़ शायरी
उनकी बातो का दौर( आर्यन वर्मा द्वारा दिनाँक 09-08-2016 को प्रस्तुत )उनकी बातों का दौरउनकी आवाज का दीवाना वो दिन भी क्या दिन थेजब वो पास थे मेरेऔर अजनबी था जमाना। - तारीफ़ शायरी
ईद की तारीख मुकम्मल( एडमिन द्वारा दिनाँक 11-03-2016 को प्रस्तुत )चाँद के दीदार को तुम छत पर क्या चले आये,शहर में ईद की तारीख मुकम्मल हो गयी। - तारीफ़ शायरी
तेरे इशारों पर मैं नाचूं क्या जादू ये तुम्हारा है,जब से तुमको देखा है दिल बेकाबू हमारा है,जुल्फें तेरी बादल जैसी आँख में तेरे समंदर है,चेहरा तेरा चाँद का टुकड़ा सारे जहाँ से प्यारा है।...
जलवे मचल पड़े तो सहर का गुमाँ हुआ,ज़ुल्फ़ें बिखर गईं तो स्याह रात हो गई। तारीफ़ शायरी