खुशबू मोहब्बत की -शिक़वा शायरी
राख से भी आएगी खुशबू मोहब्बत की,मेरे खत तुम सरेआम जलाया ना करो।
शिक़वा शायरी
By Admin
October 31, 2021
राख से भी आएगी खुशबू मोहब्बत की,मेरे खत तुम सरेआम जलाया ना करो।
शिक़वा शायरी
बस यही सोचकर कोई( एडमिन द्वारा दिनाँक 05-10-2015 को प्रस्तुत )बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने,कि इलज़ाम भले ही झूठे हो पर लगाये तो तुमने है। - शिक़वा शायरी
शायद कोई तो कर रहा है मेरी कमी पूरी..तब ही तो मेरी याद तुम्हें अब नहीं आती । - शिक़वा शायरी
शीशे सा बदन लेकर यूँनिकला ना करो राहों में, - शिक़वा शायरी
बगैर जिसके एक पल भी गुजारा नही होता,सितम तो देखिए बस वही शख्स हमारा नही होता ! - शिक़वा शायरी
बोलने की आदत तो( अभिषेक कुमार यादव द्वारा दिनाँक 28-09-2015 को प्रस्तुत )बोलने की आदत तो हमें बचपन से हैहम क्या करे।आपको शिकायत है हमसे तोतो हम क्या करे।हम तो बोलते है हमेशा से इतना...
क्यों इम्तिहान लेते हो( एडमिन द्वारा दिनाँक 22-04-2019 को प्रस्तुत )क्यों अपने इस आशिक का, परवानों में नाम लेते हो,कह कर कि दिल दोगे... हमारी जान लेते हो,पता है नहीं रख सकते, हम अपनी धड़कनों...