गम की आतिशबाजी -ग़म शायरी
फिर तेरा चर्चा हुआ, आँखें हमारी नम हुई,धड़कनें फिर बढ़ गई, साँस फिर बेदम हुई,चाँदनी की रात थी, तारों का पहरा भी था,इसीलिये शायद गम की आतिशबाजी कम हुई।
ग़म शायरी
By Admin
October 31, 2021
फिर तेरा चर्चा हुआ, आँखें हमारी नम हुई,धड़कनें फिर बढ़ गई, साँस फिर बेदम हुई,चाँदनी की रात थी, तारों का पहरा भी था,इसीलिये शायद गम की आतिशबाजी कम हुई।
ग़म शायरी
मैंने अपना ग़म आसमान को सुना दिया - शहर के लोगों ने बारिश का मजा लिया। ग़म शायरी
खुश्क आँखों से भी अश्कों की महक आती है,तेरे ग़म को ज़माने से मैं छुपाऊं कैसे। ग़म शायरी
आँसुओं से जिनकी आँखें नम नहीं,क्या समझते हो कि उन्हें कोई गम नहीं?तड़प कर रो दिए गर तुम तो क्या हुआ,गम छुपा कर हँसने वाले भी कम नहीं। - ग़म शायरी
ये ग़म मेरा हमसफ़र( एडमिन द्वारा दिनाँक 04-10-2019 को प्रस्तुत )सख्त राहों में अब आसान सफर लगता है,अब अनजान ये सारा ही शहर लगता है,कोई नहीं है मेरा ज़िन्दगी की राह में,मेरा ये ग़म ही...
दिल में किसी का ग़म( एडमिन द्वारा दिनाँक 06-03-2018 को प्रस्तुत )अब अगर खुशी मिल भी गई तो कहाँ रखेंगे हम,आँखों में हसरतें हैं और दिल में किसी का ग़म। - ग़म शायरी
वो एक रात जला तो उसे चिराग कह दिया,हम बरसों से जल रहे हैं कोई तो खिताब दो। - ग़म शायरी