ग़म दिल में है -ग़म शायरी
क्या जाने किसको किससे हैअब दाद की तलब,वह ग़म जो मेरे दिल में हैतेरी नज़र में है।
ग़म शायरी
By Admin
October 31, 2021
क्या जाने किसको किससे हैअब दाद की तलब,वह ग़म जो मेरे दिल में हैतेरी नज़र में है।
ग़म शायरी
दे गया ग़म मुझे तोहफे में मिला वो जब भी,मैंने एक शख्स को क्यूँ कर भला समझा अपना। - ग़म शायरी
वो एक रात जला तो उसे चिराग कह दिया,हम बरसों से जल रहे हैं कोई तो खिताब दो। ग़म शायरी
शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना,गमों की महफिल भी कमाल जमती है। ग़म शायरी
भटकते रहे हैं बादल की तरह,सीने से लगा लो आँचल की तरह,ग़म के रास्ते पे ना छोड़ना अकेले,वरना टूट जाएँगे पायल की तरह। ग़म शायरी
एक हसरत थी सच्चा प्यार पाने की,मगर चल पड़ी आँधियां जमाने की,मेरा ग़म तो कोई ना समझ पाया,क्यूंकि मेरी आदत थी सबको हँसाने की। ग़म शायरी
दीये की तरह समझा( एडमिन द्वारा दिनाँक 29-01-2019 को प्रस्तुत )तुमने भी हमें बस एक दीये की तरह समझा,रात हुई तो जला दिया सुबह हुई तो बुझा दिया। - ग़म शायरी