चमन में उदासी -हिंदी उर्दू ग़ज़ल
इस चमन में उदासी बनी रह गयी,तुम न आये , तुम्हारी कमी रह गयी।हसरतों में जिया फिर भी अफ़सोस है,जुस्तजू दुआओं की बची रह गयी।दिल जलाने से फुर्सत कहाँ थी उसे,शम्मा जो थी बुझी वो बुझी रह गयी।जो मिला था बसर के लिये कम न था,पर ज़रूरत नयी कुछ लगी रह गयी।पत्थरों के दिलों में नमी देखिये,जो उगी घास थी वो हरी रह गयी।जिस नज़र की हिमायत में तुम थे सदा,वो नज़र तो झुकी की झुकी रह गयी।ओस के चंद कतरों से होता भी क्या,प्यास जैसी थी वैसी ही रह गयी।
हिंदी उर्दू ग़ज़ल