जुदाई का सबब -जुदाई शायरी
हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर,हम उसे अपनी खता कहते हैं,वो तो साँसों में बसी है मेरे,जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं।
जुदाई शायरी
By Admin
October 31, 2021
हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर,हम उसे अपनी खता कहते हैं,वो तो साँसों में बसी है मेरे,जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं।
जुदाई शायरी
तूने जुदाई माँगी( एडमिन द्वारा दिनाँक 07-12-2017 को प्रस्तुत )तुझे चाहा तो बहुत इजहार न कर सके,कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके,तूने माँगा भी तो अपनी जुदाई माँगी,और हम थे कि तुझे...
उसकी जुदाई में( लुकमान रज़ा द्वारा दिनाँक 02-11-2018 को प्रस्तुत )उसकी जुदाई में आज यादें तड़पाती हैं,याद में उसकी अब तो रातें गुजर जाती हैं,कभी नींद नहीं आती है आँखों में,तो कभी नींद से आँखें...
फुर्सत मिली जब हमको तो तन्हाई आ गई,ग़म भी आया साथ में रुसवाई आ गई,इन सबसे मिलने आँख में आँसू भी आ गए,जब याद मेरे दिल को तेरी जुदाई आ गई। - जुदाई शायरी
आपकी आहट दिल को बेकरार करती है,नज़र तलाश आपको बार-बार करती है,गिला नहीं जो हम हैं इतने दूर आपसे,हमारी तो जुदाई भी आपसे प्यार करती है। जुदाई शायरी
अब अगर मेल नहीं है तो जुदाई भी नहीं,बात तोड़ी भी नहीं तुमने तो बनाई भी नहीं। - जुदाई शायरी
सर्द रातों में जुदाई( एडमिन द्वारा दिनाँक 04-11-2019 को प्रस्तुत )सर्द रातों में सताती है जुदाई तेरी,आग बुझती नहीं सीने में लगाई तेरी,तू तो कहता था बिछड़ के सुकून पा लेंगे,फिर क्यों रोती है मेरे...