तकदीर के खेल -प्रेरक शायरी
तकदीर के खेल से निराश नहीं होते,जिंदगी में ऐसे कभी उदास नहीं होते,हाथों की लकीरों पर क्यों भरोसा करते हो,तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते।
प्रेरक शायरी
By Admin
October 31, 2021
तकदीर के खेल से निराश नहीं होते,जिंदगी में ऐसे कभी उदास नहीं होते,हाथों की लकीरों पर क्यों भरोसा करते हो,तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते।
प्रेरक शायरी
सुना है आज समंदर को खुद पे गुमान आया है,उधर ही ले चलो कश्ती जहाँ तूफान आया है। - प्रेरक शायरी
जब तक कदम रुके रहे तब तेज थी हवा,नजरें उठाई जैसे ही तूफान रुक गया,एक पैतरे के साथ ही बिजली चमक उठी,उसने उड़ान ली तो आसमान झुक गया।~ हरिशंकर पाण्डेय - प्रेरक शायरी
कड़ी धूप में( एडमिन द्वारा दिनाँक 27-03-2019 को प्रस्तुत )कड़ी धूप में चलता हूँ इस यकीन के साथ,मैं जलूँगा तो मेरे घर में उजाला होगा। - प्रेरक शायरी
कड़ी धूप में चलता हूँ इस यकीन के साथ,मैं जलूँगा तो मेरे घर में उजाला होगा। प्रेरक शायरी
सुना है आज समंदर को खुद पे गुमान आया है,उधर ही ले चलो कश्ती जहाँ तूफान आया है। प्रेरक शायरी
गिरने में हार नहीं( मनीष उपाध्याय द्वारा दिनाँक 02-10-2017 को प्रस्तुत )तेरे गिरने में तेरी हार नहीं...तू आदमी है अवतार नहीं...गिर, उठ, चल, फिर भाग...क्योंकि...जीत संक्षिप्त है इसका कोई सार नहीं। - प्रेरक शायरी