रूठ के जाना तेरा -शिक़वा शायरी
ले गया जान मेरी - रूठ के जाना तेरा,ऐसे आने से तो बेहतर था, न आना तेरा।
शिक़वा शायरी
By Admin
October 31, 2021
ले गया जान मेरी - रूठ के जाना तेरा,ऐसे आने से तो बेहतर था, न आना तेरा।
शिक़वा शायरी
तुम बस उलझे रह गए हमें आजमाने में,और हम हद से गुजर गए तुम्हें चाहने में। शिक़वा शायरी
अब ना कोई शिकवा( एडमिन द्वारा दिनाँक 23-02-2016 को प्रस्तुत )अब ना कोई शिकवा,ना गिला,ना कोई मलाल रहा,सितम तेरे भी बे-हिसाब रहे,सब्र मेरा भी कमाल रहा। - शिक़वा शायरी
बस एक मेरा ही हाथ नहीं थामा उस ने,वरना गिरते हुए कितने ही संभाले उसने। शिक़वा शायरी
उस शख्स से फ़क़त इतना सा तालुक है मेरा,वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है। - शिक़वा शायरी
तुझे फुर्सत ही न मिली मुझे पढ़ने की वरना,हम तेरे शहर में बिकते रहे किताबों की तरह। शिक़वा शायरी
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगर,हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो। शिक़वा शायरी