रेत का महल -शिक़वा शायरी
तुम क्यों बनाते हो रेत का महल,एक दिन तुम्हीं इन्हें मिटाओगे,आज तुम कहते हो कि तुम मेरे हो,कल मेरा नाम तक भूल जाओगे।
शिक़वा शायरी
By Admin
October 31, 2021
तुम क्यों बनाते हो रेत का महल,एक दिन तुम्हीं इन्हें मिटाओगे,आज तुम कहते हो कि तुम मेरे हो,कल मेरा नाम तक भूल जाओगे।
शिक़वा शायरी
खामोशी से गुजरी जा रही है जिन्दगी,ना खुशियों की रौनक ना गमों का कोई शोर ।आहिस्ता ही सही पर कट जायेगा ये सफ़र,पर ना आयेगा दिल में उसके सिवा कोई और । शिक़वा शायरी
मोहब्बत में लाखों ज़ख्म खाए हमने,अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं,मत पूछो क्या गुजरती है दिल पर,जब वो कहते है हमें तुमसे प्यार नहीं। शिक़वा शायरी
दर्द देते हो खुद( एडमिन द्वारा दिनाँक 04-02-2015 को प्रस्तुत )दर्द देते हो और खुद ही सवाल करते हो,तुम भी ओ सनम, क्या कमाल करते हो,देख कर पूछ लिया है हाल मेरा,चलो शुक्र है कुछ...
इश्क़ में कोई किसी का दिल तोड़ जाता है,दोस्ती में कोई दोस्त का भरोसा तोड़ जाता है,ज़िंदगी जीना तो कोई उस गुलाब से सीखे,जो खुद टूटकर दो दिलों को जोड़ जाता है। शिक़वा शायरी
खुशबू मोहब्बत की( एडमिन द्वारा दिनाँक 28-06-2017 को प्रस्तुत )राख से भी आएगी खुशबू मोहब्बत की,मेरे खत तुम सरेआम जलाया ना करो। - शिक़वा शायरी
जब ताल्लुक ही नहीं तो हाल क्या पूछते हो,मैं जैसा भी हूं - बस तुम सा नहीं हूँ । शिक़वा शायरी