वो दिल ही नहीं रहे – दिल शायरी – दिल शायरी
वो दिल ही नहीं रहे
तू भी खामख्वाह बढ़ रही है ऐ धूप,
इस शहर में पिघलने वाले दिल ही नहीं रहे।- दिल शायरी
वो दिल ही नहीं रहे
तू भी खामख्वाह बढ़ रही है ऐ धूप,
इस शहर में पिघलने वाले दिल ही नहीं रहे।- दिल शायरी