हद से गुजर गए -शिक़वा शायरी
तुम बस उलझे रह गए हमें आजमाने में,और हम हद से गुजर गए तुम्हें चाहने में।
शिक़वा शायरी
By Admin
October 31, 2021
तुम बस उलझे रह गए हमें आजमाने में,और हम हद से गुजर गए तुम्हें चाहने में।
शिक़वा शायरी
आज भी प्यार करता हूँ तुझसे,ये नहीं कि कोई मिली ही नहीं,मिलीं तो बहुत तेरे बाद पर,तू किसी चेहरे में दिखीं ही नहीं। शिक़वा शायरी
उसका चेहरा भी सुनाता हैं कहानी उसकी,चाहता हूँ कि सुनूं उससे जुबानी उसकी,वो सितमगर है तो अब उससे शिकायत कैसी,क्योंकि सितम करना भी आदत हैं पुरानी उसकी। शिक़वा शायरी
न जाने क्यों लोग अपना बना के सज़ा देते है,जिंदगी छीन के - ज़िन्दगी की दुआ देते है । शिक़वा शायरी
रिश्ता नहीं रखना तो हम पर नज़र क्यों रखते हो,जिन्दा हैं या मर गए तुम ये खबर क्यों रखते हो..? - शिक़वा शायरी
यूँ भी तो राज़ खुल( एडमिन द्वारा दिनाँक 03-07-2015 को प्रस्तुत )यूँ भी तो राज़ खुल ही जायेगा,एक दिन हमारी मोहब्बत का ।महफिल में जो हम को छोड़ कर,सब को सलाम करते हो ।। -...
आँखों में ख्वाब तेरे( एडमिन द्वारा दिनाँक 14-10-2015 को प्रस्तुत )ज़ीना मुहाल कर रखा है,मेरी इन आँखों ने,खुली हो तो तलाश तेरी, बंद हो तो ख्वाब तेरे । - शिक़वा शायरी