ग़म भी उनका अज़ीज – ग़म शायरी
मुझे ग़म भी उनका अज़ीज हैकि उन्हीं की दी हुई चीज़ है,
यही ग़म है अब मेरी जिंदगीइसे कैसे दिल से जुदा करूँ।- ग़म शायरी
By Admin
May 4, 2020
मुझे ग़म भी उनका अज़ीज हैकि उन्हीं की दी हुई चीज़ है,
यही ग़म है अब मेरी जिंदगीइसे कैसे दिल से जुदा करूँ।- ग़म शायरी
ऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिले,तुझ सा नहीं मिला कोई, लोग तो कम नहीं मिले,एक तेरी जुदाई के दर्द की बात और है,जिनको न सह सके ये दिल, ऐसे तो गम नहीं मिले।...
महफ़िल में हँसना( दुर्गेश मिश्र द्वारा दिनाँक 15-10-2016 को प्रस्तुत )महफ़िल में हँसना हमारा मिजाज बन गया,तन्हाई में रोना एक राज बन गया,दिल के दर्द को चेहरे से जाहिर न होने दिया,बस यही जिंदगी जीने...
ढूंढ़ लाया हूँ ख़ुशी की छाँव जिसके वास्ते,एक ग़म से भी उसे दो-चार करना है मुझे। ग़म शायरी
माँगने से मिल सकती नहीं हमें एक भी ख़ुशी,पाये हैं लाख रंज तमन्ना किये बगैर..।। ग़म शायरी
नजर उठा कर तड़प उठे( एडमिन द्वारा दिनाँक 15-03-2019 को प्रस्तुत )मुद्दत से जिन की आस थीवो मिले भी तो कुछ यूँ मिले,हम नजर उठा कर तड़प उठेवो नजर झुका कर गुजर गए। - ग़म...
तुमने भी हमें बस एक दीये की तरह समझा,रात हुई तो जला दिया सुबह हुई तो बुझा दिया। - ग़म शायरी