मैं दिल से शुक्रगुजार हूँ उन तमाम लोगों का जिन्होनें बुरे वक्त में मेरा साथ छोड़ दिया क्योंकि उन्हें भरोसा था कि मैं मुसीबतों से अकेले ही निपट सकता हूँ।
किसी की करुणा व पीड़ा देखकर मोम की तरह पिघलने वाला हृदय तो रखो… परन्तु…विपत्ति की आंच और कष्ट आने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस बने रहों। ~ गुरु द्रोणाचार्य